भारत के माननीय राष्ट्रपति
श्री राम नाथ कोविन्द
का 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम सन्देश
मेरे प्यारे देशवासियो,
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70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, आप सभी को, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!
यह दिवस, लोकतंत्र पर आधारित हमारे गणराज्य के उच्च आदर्शों को याद करने का अवसर है। यह दिवस, देश के सभी नागरिकों के लिए स्वतंत्रता,समानता और भाईचारे के आदर्शों के प्रति अपनी आस्था को दोहराने का अवसर है। और इन सबसे बढ़कर, हमारा गणतन्त्र दिवस, हम सबके भारतीय होने के गौरव को महसूस करने का भी अवसर है।
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हमारे गणतन्त्र के लिए यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसी वर्ष 2 अक्टूबर को, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे। गांधीजी ने,हम सबको एक नई दिशा दिखाई। उन्होंने भारत ही नहीं अपितु एशिया, अफ्रीका तथा दुनिया के कई अन्य देशों में साम्राज्यवाद को खत्म करने के लिए,लोगों में आत्म-विश्वास एवं प्रेरणा का संचार किया और उन्हें आजादी की राह दिखाई। बापू, आज भी, हमारे गणतंत्र के लिए नैतिकता के प्रकाश-पुंज हैं। आज भी उनका जीवन एवं उनकी शिक्षाएं हमारी नीतियों और कार्य-कलापों की कसौटी हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए, उनके आदर्शों को गहराई से समझने, अपनाने और अमल में लाने का अवसर है।
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गांधी जयंती के कुछ समय बाद, 26 नवंबर को, हम सब अपने ‘संविधान दिवस’ की 70वीं वर्षगांठ मनाएंगे। 26 नवंबर 1949 के ऐतिहासिक दिन, अपनी संविधान सभा के माध्यम से, हम भारत के लोगों ने, अपने संविधान को अपनाया तथा स्वयं को समर्पित किया। उसके ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी1950 को हमने अपना संविधान लागू किया, और भारत एक गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ। हमारा संविधान, हमारे गणराज्य की आधारशिला है। यह एक दूरदर्शी और जीवन्त दस्तावेज है। उच्च आदर्शों और देश-प्रेम से ओत-प्रोत, संविधान-सभा के विद्वान सदस्यों ने इसकी रचना की। गणतन्त्र दिवस के अवसर पर, संविधान की रचना के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का योगदान विशेष रूप से स्मरणीय है।
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हमारा देश, इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है। हमारे आज के निर्णय और कार्यकलाप, 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे। एकजुट होकर,अपने प्रयासों के बल पर, इस सदी को भारत की सदी बनाने का अवसर हम सबके सामने है। इसलिए, राष्ट्र निर्माण की दृष्टि से आज का यह समय हम सबके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हमारे देशवासियों के लिए स्वतंत्र भारत का शुरुआती दौर था।
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स्वतन्त्रता सेनानियों के उच्च आदर्शों पर चलते हुए हमने आजादी हासिल की। जनता को सर्वोपरि मानने वाले मूल्यों ने हमारे गणतंत्र को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया। वही आदर्श और मूल्य, लोकतन्त्र और संविधान के प्रति हमारी अटूट आस्था में रचे-बसे हैं। हम सभी भारतवासियों को इस वर्ष एक और महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभाने का अवसर मिलने जा रहा है। 17वीं लोकसभा के निर्वाचन के लिए होने वाले आम-चुनाव में, हम सबको अपने मताधिकार का प्रयोग करना है। इस चुनाव के दौरान, हम सब अपने मताधिकार का प्रयोग, अपनी लोकतान्त्रिक मान्यताओं और मूल्यों के प्रति पूरी निष्ठा के साथ करेंगे। यह चुनाव, इस मायने में विशेष होगा कि 21वीं सदी में जन्म लेने वाले मतदाता, पहली बार, मतदान करेंगे और नई लोकसभा के गठन में अपना योगदान देंगे।
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यह चुनाव, सभी देशवासियों के लिए लोकतन्त्र में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। चुनाव के समय, हम सब, साझेदारी और समानता पर आधारित समाज की आशाओं और आकांक्षाओं के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। हमारे लोकतन्त्र की सफलता के लिए, मतदान करना हमारा एक पुनीत कर्तव्य बन जाता है। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस कर्तव्य का अवश्य पालन करें।
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हम सबको यह याद रखना है कि यह समय हमारे देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने और विकसित भारत के निर्माण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। आज हम, अपने सतत प्रयासों से गरीबी का अन्त करने के निर्णायक दौर में हैं। देशव्यापी प्रयासों के बल पर, गरीब परिवारों को आवास, पीने के पानी, बिजली और टायलेट की सुविधा मिल रही है। गांवों को शहरों से जोड़ने वाली सड़कें और पुल बन रहे हैं। शहरों में आवास तथा आधुनिक जन-सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। हर घर तक बिजली पहुंच रही है। हमारे युवा, हुनरमन्द होकर, रोजगार की नई संभावनाएं पैदा कर रहे हैं। जो लोग अपना व्यवसाय करना चाहते हैं उन्हें बिना गारंटी के लोन की सुविधा सुलभ कराई जा रही है। हर गरीब व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया है। लोगों को, जन-औषधि केन्द्रों में, सस्ती दरों पर, दवाइयाँ मिल रही हैं। हृदय रोग के उपचार के लिए ‘स्टेंट’ जैसी जीवन-रक्षक मेडिकल डिवाइसेज की, तथा घुटने के इम्प्लांट की कीमतों में काफी कमी की गई है। रियायती दरों पर डायलिसिस की सुविधा प्राप्त हो रही है। हमारे गरीब भाई-बहनों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ऐसे अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
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देश के कोने-कोने में, मोबाइल फोन तथा इन्टरनेट की सुविधा होने से, डिजिटल कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आया है। बन्दरगाहों, अंतर्देशीय जलमार्गों,बेहतर रेल सेवाओं, आधुनिक मेट्रो सुविधाओं, राष्ट्रीय राजमार्गों, गाँव की सड़कों और देश के अंदरूनी इलाकों में किफ़ायती हवाई यात्रा की सुविधाओं से कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है।
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आज यह देखकर प्रसन्नता होती है कि नवीनतम टेक्नॉलॉजी को तेजी से अपनाते हुए हमारे किसान अधिक समर्थ और हमारे जवान अधिक सशक्त हो रहे हैं। टेक्नॉलॉजी और नई सोच के बल पर हमारे उद्यमी, विकास की नई इबारत लिख रहे हैं। आज दुनिया की निगाहें, हमारे युवा उद्यमियों और हमारी अर्थ-व्यवस्था पर टिकी हुई हैं।
मेरे देशवासियो,
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देश के विभिन्न भागों में अपनी यात्राओं के दौरान, मैं समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ मिलता हूँ और देखता हूँ कि आम लोगों में, कठिन परिश्रम और ईमानदारी से हासिल की गई उपलब्धियों के प्रति, सराहना का भाव है। यह सराहना, उन वरिष्ठ नागरिकों के विचारों में और भी साफ झलकती है जिन्होंने अभाव के दौर को देखा है। यह सफलता हम सबने कड़ी मेहनत से हासिल की है।
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अनेक क्षेत्रों में, हमने अभाव को प्रचुरता में बदला है। उदाहरण के लिए, आज देश में खाद्यान्न का प्रचुर मात्रा में उत्पादन हो रहा है। रसोई गैस आसानी से मिल रही है। फोन कनेक्शन लेना हो या पासपोर्ट बनवाना हो; बैंक में खाता खुलवाना हो या दस्तावेजों को प्रमाणित करना हो; इन सभी क्षेत्रों में सुधार और बदलाव दिखाई दे रहे हैं। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में हो रहे सामाजिक बदलाव, अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। हमारी बेटियाँ, शिक्षा, कला, चिकित्सा और खेल-कूद जैसे क्षेत्रों के अलावा, हमारी तीनों सेनाओं और रक्षा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी अपनी विशेष पहचान बना रही हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में, पदक पाने वाले विद्यार्थियों में, प्रायः बेटियों की संख्या बेटों से अधिक होती है। ऐसे बदलावों के, बहुआयामी लाभ मिल रहे हैं।
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सबको साथ लेकर चलने की समावेशी भावना, भारत के विकास का मूल-मंत्र है। इस विकास के दायरे में, हम सभी देशवासी शामिल हैं। जन-सुविधाएं सबकी पहुँच में हों तथा विकास के अवसर सभी को समान रूप से मिलें, इस सोच के साथ, हम आगे बढ़ रहे हैं। देश के संसाधनों पर हम सभी का बराबर का हक है, चाहे हम किसी भी समूह के हों, किसी भी समुदाय के हों, या किसी भी क्षेत्र के हों। भारत की बहुलता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारी डाइवर्सिटी,डेमोक्रेसी और डेवलपमेंट, पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल है।
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गांधीजी ने अपनी पुस्तक, ‘मेरे सपनों का भारत’ में लिखा है कि मैं ऐसे भारत के निर्माण के लिए कोशिश करूंगा, जिसमें गरीब-से-गरीब लोग भी यह महसूस करेंगे कि यह देश उनका है, इसके निर्माण में उनकी आवाज का महत्त्व होगा, जहां ऊंच-नीच का भेद नहीं होगा तथा स्त्रियों को भी वही अधिकार मिलेंगे जो पुरुषों को प्राप्त होंगे। इस संदर्भ में, इसी माह, संविधान-संशोधन के द्वारा, गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा एवं रोजगार के विशेष अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।सामाजिक न्याय और आर्थिक नैतिकता के मानदंडों पर ज़ोर देकर, समावेशी विकास के कार्य को और भी व्यापक आधार दिया गया है। टेक्नॉलॉजी और नई सोच के बल पर, समाज के हर वर्ग के लोग विकास की यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
प्यारे देशवासियो,
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हमारे महान गणतंत्र ने एक लंबी यात्रा तय की है। लेकिन अभी हमें बहुत आगे जाना है। खासकर, हमारे जो भाई-बहन विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं,उन सबको साथ लेकर, हमें आगे बढ़ना है। 21वीं सदी के लिए, हमें अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों के नए मानदंड निर्धारित करने हैं। अब हमें क्वालिटी यानि गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना होगा। सभी वर्गों और सभी समुदायों को समुचित स्थान देने वाले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए, हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो, और उसके विकास के लिए हर तरह की सुविधाएं औरप्रोत्साहन उपलब्ध हों।
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पारस्परिक सहयोग और साझेदारी के आधार पर ही समाज का निर्माण होता है। चाहे परिवार की खुशी हो, व्यवसाय में प्रगति हो, समाज और राष्ट्र का निर्माण हो, या फिर एक बेहतर विश्व-व्यवस्था की स्थापना हो, यह सभी उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति, समाज, सरकार और राष्ट्रों के आपसी सहयोग से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। सहयोग और साझेदारी की यह भावना ही, पूरे विश्व को एक ही परिवार मानने वाले, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श का भी आधार है।
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विचारों के सहज आदान-प्रदान, व्यापक संवाद और गहन संवेदनशीलता के माध्यम से साझेदारियाँ मजबूत होती हैं। संवाद और संवेदनशीलता की उपयोगिता जिस तरह परिवार के स्तर पर सहयोग के लिए प्रभावी सिद्ध होती है, उसी तरह यह समाज के वंचित वर्गों की भागीदारी के लिए भी प्रासंगिक है। हमें इन वर्गों की समस्याओं को सुनने–समझने तथा उनका समाधान करने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखना है।
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हमारी संस्कृति, परम्परा और जीवन-आदर्शों में लोक-सेवा का बहुत अधिक महत्व है। हम सबके हृदय में, उन व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति सदैव सम्मान का भाव रहा है, जो अपने सामान्य कर्तव्यों की सीमाओं से ऊपर उठकर लोक-सेवा के लिए समर्पित रहते हैं। अच्छी नीयत के साथ किए गए योगदान को,मान्यता और सराहना मिलनी ही चाहिए, चाहे वह योगदान किसी व्यक्ति का हो, समूह का हो, निजी या सार्वजनिक संस्थाओं का हो, या फिर सरकार का हो।
मेरे प्यारे देशवासियो,
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देश हो या विदेश, हर जगह, जीवन के यही आदर्श हमारा मार्ग-दर्शन करते हैं। हमारी यही सोच, संयुक्त राष्ट्र के शांति-मिशनों में, जलवायु परिवर्तन के मामले में, मानवीय सहयोग प्रदान करने में, या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत पहुंचाने में भी दिखाई देती है। परिणाम-स्वरूप, आज विश्व-पटल पर भारत के योगदान की सराहना होती है और पूरे विश्व में, हमारे देश को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
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मैं इस बात का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूँगा कि इन्हीं आदर्शों की बुनियाद पर, हमारे गणराज्य का निर्माण हुआ है। लोकतांत्रिक लक्ष्यों कोलोकतांत्रिक माध्यमों से, समावेशी लक्ष्यों को समावेशी साधनों से, करुणा और संवेदना से जुड़े लक्ष्यों को करुणा और संवेदना के जरिए तथा संवैधानिकलक्ष्यों को संविधान सम्मत साधनों से प्राप्त करना ही, हमारे गणतन्त्र की मूल आस्था है।
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हम सबको यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि अपने संविधान के माध्यम से, हम भारत के लोगों ने, यह सामूहिक संकल्प लिया है कि सभी देशवासियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय दिलाएँगे; सभी भारतवासियों को प्रतिष्ठा और अवसर की समानता उपलब्ध कराएंगे; हर व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करेंगे और भाईचारे की भावना को मजबूत बनाएँगे। अपने इस संकल्प के साथ, हम सब अपने गणतन्त्र की यात्रा में, तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि संवैधानिक आदर्शों के वाहक के रूप में आगे बढ़ते हुए, हम भारत के लोग, अपने गणतन्त्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने में निश्चित रूप से सफल होंगे।
मैं एक बार फिर, देश और विदेश में बसे, आप सभी भारतवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई देता हूं और आप सबके सुखद भविष्य की मंगल-कामना करता हूँ।
जय हिन्द !
नई दिल्ली, जनवरी 25, 2019